Mungfali Ki Kheti Kaise Karen: मूंगफली की खेती कैसे करें

Mungfali Ki Kheti Kaise Karen: भारत के बहुत सारे राज्यों में मूंगफली की खेती की जाती है। जहां पर बलुवर दोमट मिट्टी पाई जाती है वहां पर बहुत मात्रा में मूंगफली की खेती की जाती है। किसानों के लिए मूंगफली की खेती करना काफी फायदेमंद होता है। क्योंकि बाजारों में काफी महंगे कीमत में मूंगफली बिकता है। इसलिए बहुत सारे किस मूंगफली की खेती करते हैं इसके बहुत सारे प्रजाति पाई जाती है। इसके बारे में आज किस आर्टिकल में बताया जाएगा की मूंगफली की खेती कैसे की जाती है। किस समय मूंगफली की खेती करने से ज्यादा पैदावार हो सकता है, इसके बारे में संपूर्ण जानकारी दिया जाएगा।

बता दे की ग्रीष्मकालीन मूंगफली की खेती उत्तर प्रदेश के जनपद फर्रुखाबाद मैनपुरी हरदोई अलीगढ़ आदि जिलों में बहुत ज्यादा मात्रा में की जाती है खरीफ की अपेक्षा जायद में कीड़े आदि बीमारियों का प्रकोप कम होता है ग्रीष्मकालीन मूंगफली से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए कृषकों को निम्न तकनीक अपनाने की आवश्यकता हो सकती है।

Mungfali Ki Kheti Kaise Karen

मूंगफली हमारे शरीर में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन देता है जिससे पूरे शरीर में कुछ ही दाने मूंगफली के खाने से भरपूर हो जाता है। इसलिए इसे महंगे कीमत में बाजारों से से खरीद कर लोग कहते हैं और यही सबसे बड़ा कारण है कि आज के समय में किसान भाई लोग भी मूंगफली की खेती बढ़ चढ़कर कर रहे हैं। क्योंकि इसमें काफी ज्यादा मुनाफा होता है। अगर आप भी मूंगफली की खेती करना चाहते हैं तो इसके बारे में संपूर्ण जानकारी अच्छे से होना चाहिए, तभी आप इसकी खेती कर सकते हैं। क्योंकि यह सभी मिट्टी में मूंगफली की खेती नहीं हो सकती है।

अगर किसी भी मिट्टी में मूंगफली की खेती करते हैं तो जितना आप उम्मीद कर रहे हैं उपज का उतना ज्यादा उपज नहीं होगा और आपको काफी हानि हो सकती है। इसीलिए मुनाफा कमाने के लिए दोमट बलुई मिट्टी में ही इसकी खेती करने से काफी ज्यादा मुनाफा हो सकता है।

Mungfali Ki Kheti Kaise Karen: मूंगफली की खेती कैसे करें
Mungfali Ki Kheti Kaise Karen

Mungfali Ki Kheti के लिए भूमि की तैयारी करना

ग्रीष्मकालीन मूंगफली की खेती के लिए अच्छी भूमि की तैयारी करना काफी जरूरी होता है। यदि मूंगफली की खेती तथा मटर के बाद की जा रही है तो खेतों की एक गहरी जूताई यानी दो से तीन बार देशी हल से भुरभुरा करके जुताई करना होगा। आलू तथा सब्जी मटर की खेती के बाद मूंगफली उगाई जाने की दशा में गहरी जुताई की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

  • देशी हल अथवा कल्टीवेटर से दो-तीन बार खेतों की जुताई अच्छी तरह से कर लेना चाहिए। प्रत्येक जुताई के बाद पता लगाकर खेत को चौरा करना होगा। ताकि सिंचाई का पानी खेत में सामान्य रूप से फैल जाए एवं पानी की अधिक बर्बादी भी ना हो पाए।

Mungfali Ki Kheti के लिए भूमि की किस्म

अगर आप भी मूंगफली की खेती करना चाहते हैं तो सबसे पहले बलुआ दोमट या हल्की दोमट भूमि का चुनाव करना होगा। वहीं पर आप मूंगफली की खेती कर कर अच्छा पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। ग्रीष्मकालीन मूंगफली आलू मटर सब्जी की कटाई के बाद खाली खेतों में सफलतापूर्वक किया जा सकता है। क्योंकि इस समय ग्रेस निकालने के लिए भारी दोमट भूमि का चयन ना कर सके।

मूंगफली की प्रजातियां

  • डी.एच.-86
  • आई.सी.जी.एस.-44
  • आई.सी.जी.एस.-1
  • आई.सी.जी.वी.-93468
  • टी.जी.37
  • एटी.ए.जी.-24
मूंगफली बुवाई की विधि

अगर आप मूंगफली की खेती पर्याप्त नमी के पलेवा देकर ग्रिषमकालीन मूंगफली की बुवाई करना चाहते हैं तो बहुत उचित होगा यदि खेत में उचित नामी नहीं है। तो मूंगफली का जमाव अच्छा नहीं हो पाएगा, इसलिए गुच्छेदार प्रजातियां ग्रीष्मकालीन खेती के लिए उत्तम रहती है। इसलिए बाय 25 से 30 सेंटीमीटर की दूरी पर देशी हल से होनी चाहिए कूडो में 8 से 10 सेंटीमीटर की दूरी पर रखना चाहिए। बुवाई के बाद खेत में क्रॉस पतंग लगाकर दोनों तरफ पूरी तरह से मिट्टी से ढक देनी चाहिए क्रॉस पटा खेत में उपलब्ध नमी को उड़ाने से बचाकर सुरक्षित करने में काफी लाभदायक साबित होता है।

मूंगफली बुवाई का उचित समय

मूंगफली की अच्छी उपज के लिए अच्छा होगा की बुवाई मार्च के प्रथम सप्ताह में कर लेनी चाहिए। इस समय करने से पौधे में वृद्धि बहुत जल्दी होती है। विलंब से बाय करने पर मानसून की प्रथम होने की दशा में खुदाई के बाद फलियों की सफाई करने में कठिनाई होती है और मूंगफली भी बर्बाद होने का डर रहता है।

मूंगफली खेती के लिए जल प्रबंधन

मूंगफली की खेती की सिंचाई किसने की व्यवस्था नहीं है वह ग्रीष्मकालीन मूंगफली की खेती न करें। पलावा देकर बुवाई के बाद पहली सिंचाई जमापुर होने तथा सुखी गुड़ाई के 20 दिन बाद करें मूंगफली की प्रजातियां में 30 से 35 दिन बाद फूल आने प्रारंभ हो जाते हैं। इसलिए दूसरी सिंचाई 35 दिन बाद फसल होने पर करें इसके बाद आप 45 से 50 दिन बाद किसी सिंचाई कर सकते हैं।

क्योंकि उसे समय खुंटी बनने लगती है। क्योंकि इस समय खूंटी भूमि में घटने लगती है तथा फलिया बनने लगती है। चौथी सिंचाई 70 दिन के बाद फलियों के दाना भरते समय करना चाहिए इस प्रकार भरपूर उपज लेने के लिए 4 से 5 सिंचाई देने की जरूरत पड़ती है।

मूंगफली के पौधा में लगने वाले प्रमुख रोग

  • रोगअगेती पर्ण चित्ती
  • शुष्क जड़ विगलन रोग
  • किट्ट रोग
  • रोगगेती पर्ण चित्ती
  • पछेती पर्ण चित्ती
  • स्तंभमूलसंधि विगलन रोग
  • मूंगफली तना परिगलन रोग
  • तना विगलन

Mungfali Ki Kheti के लिए सही जलवायु

मूंगफली की खेती करने के लिए सही जलवायु का चयन करना बहुत ही आवश्यक है। आपकी जमीन की जलवायु मूंगफली की फसल के लिए उपयुक्त होनी चाहिए। इसलिए मूंगफली भारत के महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है जिसकी खेती लगभग बहुत सारे राज्य में की जाती है। जहां पर सूर्य की रोशनी अधिक और उच्च तापमान होता है। वह मूंगफली की फसल बहुत अच्छा पैदावार होता है। अगर आप 30 डिग्री सेल्सियस तापमान और खरीफ सीजन के दूसरे पखवाड़े में बुवाई करते हैं। तो मूंगफली की खेती के लिए यह जलवायु सही साबित होती है। इसलिए आप इस समय मूंगफली की खेती अच्छे से कर सकते हैं।

मूंगफली बुवाई के समय रखें इन बातों का ध्यान

सभी किसानों को मूंगफली बुवाई के समय कई बातों को ध्यान रखने की जरूरत होती है। सामान्य रूप से 15 जून से 15 जुलाई के मध्य मूंगफली की बुवाई की जा सकती है। बीज बोने से पहले तीन ग्राम थायरम या दो ग्राम मैकोजेब दवा प्रति किलो बीज के हिसाब से होनी चाहिए। इस दवा से बीज में लगने वाले कीटाणु से बचाया जा सकता है जिससे अंकुरित होने में कोई रुकावट भी ना हो सके।

फसल की कटाई कब करें

मूंगफली की फसल की कटाई के लिए ध्यान रखने वाले कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं। जब पत्तियां पूरी तरह से पक जाए और वह अपने आप गिरने लगे एवं फल शक्ति हो एवं दाने का अंदरूनी रंग गहरा हो तो कटाई शुरू कर देनी चाहिए। कटाई में अगर आप देरी करेंगे तो गुस्सा की किस में होने के कारण दायर में ही अंकुरित किया जा सकता है इसलिए समय पर कटाई हो जानी चाहिए।

बुवाई के बात करें ये काम

  • मूंगफली की बुवाई के 15 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करें।
  • उसके बाद 35 दिन के बाद दूसरी निराई-गुड़ाई करें।
  • उसके बाद इमेजाथापर का छिड़काव कर दे।
  • 3 दिन के भीतर प्रति हेक्टेयर खेत में 800 ग्राम पेंडीमिथेलीन 40% का प्रयोग करें।

मूंगफली की खेती में कितना मुनाफा होता है

कोई भी किस किसी भी फसल की बुवाई करते हैं तो उसका मुनाफा के बारे में भी सोचते हैं। अगर आप मूंगफली की खेती करने के बाद मुनाफे के बारे में जानना चाहते हैं तो आपको बता दें कि ₹40000 प्रति हेक्टेयर के हिसाब से इसमें मुनाफा हो सकता है। बता दे की औसत पैदावार 25 से 30 किलोमीटर प्रति हेक्टेयर हो सकता है। यदि सामान्य भाव ₹70 प्रति किलो रहा तो किसानों को खर्चा निकाल कर लगभग 80000 रुपए की बचत हो सकता है।

मूंगफली स्वास्थ्य के लिए गुणकारी

मूंगफली गरीबों का बादाम कहा जाता है इसे खाने से कई तरह की बीमारियां दूर किया जा सकता है। हर रोज आप दो-कर दान भी कहते हैं तो आपका शरीर मजबूत तो रहेगा ही स्वस्थ भी रहेगा एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बड़ा रहेगा वही ब्लड शुगर भी संतुलित रखता है। मूंगफली खाने से जुकाम में लाभ मिलता है इसके अलावा वजन कम करने में भी लाभदायक है। वही मूंगफली महिलाओं को पेट के कैंसर को भी मूंगफली नियंत्रित करता है इसलिए आप मूंगफली का सेवन कर सकते हैं। ध्यान रहे कि ज्यादा मात्रा में ना करें क्योंकि मूंगफली में हाई प्रोटीन होता है।

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