Chane Ki Kheti Kaise Kare: चने की खेती कैसे करें

Chane Ki Kheti Kaise Kare: चना एक रबी का फसल है जिसे दलहनी फसल की श्रेणी में रखा जाता है। चना की खेती आज के समय में बहुत लोग करते हैं। और किस को इस खेती से बहुत ज्यादा मुनाफा होता है। क्योंकि मार्केट में इसका भाव काफी ज्यादा कीमत में बिकता है‌। जिसके कारण बहुत सारे किसान भाई लोग चने की खेती करते हैं इस आर्टिकल में आपको चने की खेती कैसे की जाती है। इसका लाभ क्या है कितना मुनाफा कमा सकते हैं इन सभी के बारे में बताया जाएगा।

बता दे की दुनिया में चना उत्पादन करने के मामले में भारत का पहला स्थान है और दूसरे स्थान पर पाकिस्तान का नंबर है। अगर भारत में बात की जाए तो मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र और उसके बाद पंजाब जैसे राज्य में चने की फसल बड़े पैमाने पर की जाती है। इसके आकार रंग रूप के आधार पर चने को दो श्रेणी में बांटा गया है जिसमें पहली श्रेणी देशी यानी भरा चना आता है‌ और दूसरी श्रेणी में काबुली यानी सफेद चना आता है।

Chane Ki Kheti Kaise Kare

चने की खेती से किसानों को काफी ज्यादा लाभ होता है क्योंकि कम समय में यह खेती पूरा हो जाता है। और बाजार में इसकी कीमत अच्छा मिलता है जिसके कारण किसानों को काफी ज्यादा मुनाफा हो जाता है। अगर आप भी चना की खेती करने के बारे में सोच रहे हैं तो जरूर आप इसकी खेती कर सकते हैं। क्योंकि यहां पर मुनाफा का सबसे ज्यादा लाभ होने वाला है। मगर खेती करने से पहले इसके बारे में सही जानकारी प्राप्त होनी चाहिए की कब खेती की जाती है सिंचाई कैसे करना है।

कौन से उत्तम किस्म का बीज होने से ज्यादा उपज हो सकती है। इन सभी चीजों की जानकारी अच्छे तरीका से होना चाहिए। यानी आपको पहले एक किसान के साथ रहकर इसकी खेती कर लेनी चाहिए जिससे आपको भी जब खेती करना शुरू करें तो कोई दिक्कत ना आए।

Chane Ki Kheti Kaise Kare: चने की खेती कैसे करें
Chane Ki Kheti Kaise Kare

चने की उत्तम किस्म और पैदावार

चने की बहुत सारे किस्म में पाए जाते हैं जो निम्न प्रकार के नीचे दिए गए-

  • PBG 7: यह किस मुख्य रूप से पंजाब में उपज होते हैं या फली के ऊपर धब्बा रोग सुख और जड़ गलन रोग की प्रतिरोध होता है। इसका पैदावार आठ कुंतल प्रति हेक्टेयर होता है। जो लगभग 169 दिनों में चने का यह फसल पककर तैयार हो जाता है।
  • Gram 1137: यह किस्म मुख रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है। इसकी औसत पैदावार 4.5 क्विंटल प्रॉपर्टी हेक्टेयर होती है। और इस किस में वायरस से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता होता है।
  • CSJ 515: यह फसल उन इलाकों में पाए जाते हैं जहां पर सिंचाई करने की सुविधा होती है। इसके दाने छोटे और भूरे रंग के होते हैं, 17 ग्राम प्रति 100 बीज होता है। यह किसका पैदावार एक साथ 35 दिनों में पक जाती है। औसत पैदावार 7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।

चने की खेती करने के लिए उपयुक्त मिट्टी

वैसे तो चने खेती हर तरह की मिट्टी में की जा सकती है। मगर अच्छी उपज के लिए आपको उपयुक्त मिट्टी जिसमें रेतीली या चिकनी मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। इसकी खेती करने के लिए पानी निकासी वाले खेत होना चाहिए। चना की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए 5.5 से 7 पीएच मान वाली मिट्टी अच्छी होती है। इसलिए जब भी आप खेती करने के बारे में सोच रहे हैं तो उपयुक्त मिट्टी की होना बहुत जरूरी है जिससे पैदावार में काफी ज्यादा वृद्धि होती है और अच्छा उपज होता है।

चने की खेती की सिंचाई

चने की खेती में आमतौर पर कम सिंचाई अवस्था में की जाती है। चने की फसल के लिए कम जल की आवश्यकता होती है। क्योंकि चने में जल उपलब्धता के आधार पर पहली सिंचाई फूल आने के पूर्व अर्थात बोने के 45 दिन बाद एवं दूसरी सिंचाई दाना भरने की अवस्था पर अर्थात बोने के 75 दिन बाद करना चाहिए। तब जाकर चना काफी ज्यादा उपजाऊं होता है।

बुवाई के समय चने के बीज का मात्रा

अगर आप चने की खेती करना चाहते हैं तो बुवाई के समय चने के बीच का मात्रा ध्यान रखना बेहद ही महत्वपूर्ण होता है। देशी किस्म की लिए 15 से 18 किलो बीज प्रति हेक्टेयर बोलना चाहिए। वहीं अगर आप का बोली किस्म की चन बोले जा रहे हैं तो 37 किलो बिक प्रति हेक्टेयर डाले। अगर चने की बुवाई करने में देरी हो जाती है तो 15 नवंबर के बाद अगर बुवाई कर रहे हैं तो 27 किलो 20 प्रति हेक्टेयर डालें। एवं 15 दिसंबर से पहले भाई कर रहे हैं तो 36 किलो बीज प्रति हेक्टेयर डाले। इस तरह से अगर आप खेती करते हैं तो काफी अच्छा पैदावार उगा सकते हैं।

चने की बुवाई का समय

अधिकतर परिवार प्राप्त करने के लिए शिक्षित क्षेत्र में चने की बुवाई करने का उचित समय क्रमशः अक्टूबर का प्रथम सप्ताह या दूसरा सप्ताह माना जाता है। इस समय अगर खेती करते हैं तो सबसे अच्छा परिणाम देखने को मिलेगा‌ और किसान काफी लाभदायक होंगे। क्योंकि इस समय बनने पर कम समय में चने की खेती आसानी से हो जाती है और किसान को सिंचाई करने की भी ज्यादा जरूरत नहीं पड़ता है। क्योंकि चने की खेती के लिए ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है बोन के बाद दो बार ही सिंचाई करना पड़ता है।

जलवायु और तापमान

अधिक गर्मी के मौसम में इस पौधे में बहुत तरह के रोग देखने को मिल जाता है। इसलिए ठंडी जलवायु में इसका खेती की जाती है सामान्य तापमान में चने खेती आसानी से की जा सकती है। इसके पौधे 20 डिग्री तापमान से अच्छे अंकुरित होते हैं। चने का पौधा अधिकतम 30 डिग्री तथा न्यूनतम 40 डिग्री तापमान को ही सहन कर सकता है। इसलिए इसे कम तापमान पैदावार को प्रभावित भी कर सकता है इसलिए आप इसी तापमान पर अच्छा उपज प्राप्त कर सकते हैं।

चने की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

अगर आप चने की अच्छा ऊपज चाहते हैं तो उपजाऊ और उचित जल निकासी वाली मिट्टी में ही चना की खेती करने से आपको अच्छी पैदावार प्राप्त हो सकता है। जिसमें दोमट मिट्टी को उपयुक्त माना जाता है इसकी खेती के लिए भूमि का पीएच मान 6 से 7.5 के माध्यम होना चाहिए। चने का पौधा ठंडी जलवायु वाला होता है इसलिए इसकी खेती में पानी की पूर्ति के लिए बारिश के मौसम में पौधे का बुवाई की जाती है जो अक्टूबर का महीना अच्छा माना जाता है। मगर अधिक वर्षा भी पौधे के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इसके पौधे की ठंडी जलवायु में अच्छे से वृद्धि होते हैं इसीलिए यह ठंड के समय में अच्छा उपज देती है।

चने के खेत की तैयारी और उर्वरक

चना के बीजों की रोपाई से पहले खेत को अच्छी तरह से उर्वरक युक्त बनाना होगा। सबसे पहले आपको खेत की अच्छी और गहरी जुताई करनी होगी जुताई के बाद खेत को कुछ समय के लिए ऐसे ही खोल छोड़ देना होगा। जिस खेत की मिट्टी में अच्छी तरह से धूप लग जाए और मिट्टी में मौजूद हानिकारक तत्व पूरी तरह से नष्ट हो जाए। पहले खेत की जुताई के बाद उसमें गोबर की खाद को प्रति हेक्टेयर 10 गाड़ी देना चाहिए।

खाद को खेत में डालने के बाद जुताई करके अच्छी तरह से मिला देना होगा। जिससे पूरे खेत में गोबर का खाद अच्छी तरह से मिल जाए इसके बाद खेत में पानी लगाकर पावेल कर दिया जाता है। तब जाकर खेत बहुत ही उर्वरक वाला खेती बन जाता है उसके बाद फिर से एक बार जुताई करना होगा। तब जाकर आप इसमें चलने की खेती कर सकते हैं।

पाले से फसल का बचाव

चने की फसल में पाले का प्रभाव के कारण काफी क्षति भी हो सकता है। ज्यादा ठंड पड़ने से फसल प्रभावित भी हो सकती है। क्योंकि संभावित दिसंबर जनवरी में अधिक ठंड पड़ने लगता है। इससे बचाव के लिए फसल में गंधक के तेजाब की 0.1% मात्रा यानी 1 लीटर गंधक के तेजाब को 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। जिससे पाला पड़ने की संभावना होने पर खेत के चारों ओर धुआ करना भी लाभदायक रहता है। इस तरह से आप फसल को ज्यादा ठंड से बचा सकते हैं।

चने के पौधे पर खरपतवार नियंत्रण

चने के पौधे की जरिए भूमि में होती है और भूमि से पोषण तत्वों को ग्रहण करती है और उसका हर भाग जमीन से ऊपर होता है। जिस पर खरपतवार या ऐसे कीटाणु लग जाते हैं जिसका नियंत्रण करना बहुत ही जरूरी है। क्योंकि सूर्य के प्रकाश हरे पत्तों के द्वारा ही प्राप्त होता है और जब किसी भी पौधे में हर पता नहीं रहेगा तो वह प्रकाश संश्लेषण नहीं कर पाएगी। इसलिए खरपतवार पर नियंत्रण पाने के लिए खेत में दो से तीन बार खरपतवार नाशक का छिड़काव करना होगा जिससे जो भी कीटाणु पौधे पर लगा हुआ है। वह पूरी तरह से नष्ट हो जाए और पौधे की वृद्धि होने में कोई रुकावट ना हो सके।

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